kishan ki samasya samadhan

 किसान  समस्या समाधान(kishan samasya samadhan) 

kishan ki samasya samadhan

भारत एक कृषि प्रधान देश है, अक्सर कृषि लिखो की शुरुआत इसी वक्त से होती है ग्रंथों में कहा गया है कि अंतिम वह प्राणी नाम  प्राण: ( आन प्राड़ियो का  जीवन है अर्थात प्राण है प्राण ही जीवन एवं जीवन ही प्राण होता है प्राण नहीं तो जीवन नहीं और हम सब इस तथा से भलीभांति परिचित हैं।
 
अन्न उगाने की कला का नाम ही कृषि है,एक विज्ञान है जिसमें फसल को उगाने से लेकर उसकी बाजारीकरण तक का सुषमा ज्ञानी है इसी विज्ञानंम को जानने समझने और उसके व्यावहारिक प्रयोग का अनवरत साधना का काम करने वाली किसान कहते हैं ।
 
कौड़ीराम रोजमर्रा की झंझावती के साथ प्राकृतिक आपदाओं विपन अदाओं से दो हाथ कर हम हमारे लिए दो वक्त से निकाले की जुगाड़ करने वाले किसान हमारे समाज का अति महत्वपूर्ण अंग है । यू कहे कि हमारे जीवन की प्राण वायु शक्ति को चलायमान रखने के लिए एक महत्वपूर्ण कारक को निष्ठा पूर्वक पालन करने वाले किसान हैं। 

भारत में किसानों की हालत दिनों दिन बतर होती जा रही है। जिसके कारण अनेक किसान आत्महत्या तक करने पर मजबूर होते जा रहे हैं आज भी 60% से 70% लोग कृषि पर निर्भर हैं इस समस्या को हर सरकार जानती है पर उसके पास उचित समाधान नहीं है ।
 
भारत के किसान की हालत बहुत खराब है इस प्रकार लोग केवल बहुत करती हैं। राजनीति करती हैं और हाय तौबा मचा कर भूल जाते हैं पर इसके लिए कोई कारगर समाधान नहीं ढूंढा जाती है। 

भारतीय किसान की खराब हालत होने के कारण और निवारण(Causes and redressal of poor condition of Indian farmer) 

 भारत में किसान की हालत खराब होने के कई कारण है जिसके बारे में समाज राजनेता और हर व्यक्ति को सोचना चाहिए जो सक्षम है उनकी मदद करने के लिए आगे यदि समस्या बढ़ी है तो हम को मिलकर इसके लिए कोई हल निकालना चाहिए। 

 भारत की राजनीति(politics of india) 

भारत की राजनीतिक इतनी खराब है कि इनमें अच्छे लोग बहुत कम आते हैं या आते ही नही इसमें जो लोग गरीबों और किसानों और गरीबों को लगता है इस बार कुछ अच्छा होगा भारतीय राजनीतिक में सुधार होना चाहिए कोई ऐसा पार्टी होना चाहिए जिसमें एक गरीब भी चुनाव लड़ सकती है।
 
 नेता या राजनेता चुनाव प्रचार के समय कोई वादा करता है तो उन्हें पूरा करने की लिए कोर्ट आदेश दे क्योंकि गलत वादों से चुनाव जीतना अपराध की श्रेणी में आनी चाहिए। नेता वहीं वादा कर सके जो 5 वर्षों में पूरा कर सके नेताओं के कार्यों और उनकी आमदनी की जानकारी किसी वेबसाइट पर होनी चाहिए। 


 भारतीय सोच(Indian way of thinking) 

भारत में लोगों ने यह सोच लिया है कि खेती से लाभ पा नहीं सकते हैं यह एक कठिन का काम है इस सोच को बदलने की जरूरत है किसानों को कृषि के बारे में जागरूकता करें कि कैसे खेती से लाभ पा सकते हैं ।
 
परिवार के सभी सदस्य को कृषि पर निर्भर करनी चाहिए आमदनी का कोई सोर्स होना चाहिए भारतीय सरकार को ऐसा लघु उद्योग बनाना चाहिए जो किसान अपने घर से कर सके और खेती भी कर सके अतिरिक्त आमदनी के लिए शहरों का पालन ना करना पड़े। 

भारतीय शिक्षा(The education of India) 

kishan ki samasya samadhan
भारत में ऐसी विषय के बारे में पढ़ाया जाता है जहां हमारे जीवन में कम या कोई प्रयोग ही नहीं है जबकि कृषि विषयों के बारे में अनिवार्य रूप से पढ़ाया जाना चाहिए कृषि के संबंधित टेक्नोलॉजी के बारे में पढ़ाना चाहिए।
 
कृषि के व्यवसाय को कैसे जोड़ा जाए इसके बारे में बताना चाहिए गांव में खेती करने के बाद किसानों के पास इतना समय होता है कि जिसका प्रयोग करके अतिरिक्त धन कमा सकते हैं।kishan ki samasya samadhan
 
भारत में ज्यादातर किसानों को मजदूरों के अशिक्षित होने के कारण उन्हें उचित प्रकार से शिक्षा और स्वास्थ्य संबंधित सुविधा नहीं मिल पाती है सरकारी स्कूलों के अध्यापक को शिक्षा देने में कोई रूचि नहीं होती है ।
 
 मोटिवेट(motivate) किया जा सकता है उन्हें आर्थिक रूप से कमजोर परिवार के बच्चों को भी अच्छी शिक्षा मिल सके।

 दूसरों से उम्मीद रखना(Keep expectation from others) 

 भारत के किसान को यह लगता है कि यह सरकार नहीं तो अगली सरकार उनके लिए कुछ अच्छा करेगी ऐसा सोच का त्याग करें आपकी किस्मत को स्वयं या अपना बेटा बेटी बदल सकता है । हर समस्या का समाधान होता है बस सोच बदलने की आवश्यकता है ।

वर्तमान में भारत सरकार की 74 वीं वर्षगांठ 2022 पर किसानों की आय दोगुनी करने का लक्ष्य रखा है। जिसे नीति आयोग ने  ठायगत रूप से तैयार किया जाता है। 
 
बीते दिन किसानों की आत्महत्या सरकार की लचर पचर नीतियां बिजोलिया पन प्राकृतिक आपदाओं के कारण आज के युवा खेती-किसानी से दूर होते जा रहे हैं। अगर तू कहे तो उनका मन्ना खेतीकिसानी में जाता है
 
आश्चर्य की बात इस खेती-किसानी से भली शहर का लायन करूर की दिहाड़ी कर जीवन यापन करना बेहतर मानते है।

लेकिन हकीकत और वयान करती है ठेकेदार के पास काम कर कमाया पूंजी की लिए दर-दर भटकते रहते हैं। इस प्रकार से हरी यापन करने पर दुख झेलना पड़ता है। (kishan ki samasya samadhan) 

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